Wednesday, February 16, 2011

एक लब्ज मैं क्या तरीफ करूं आपकी अप लाब्जों मैं कैसे समां पाओगे ,
बस इतना जन लो की जब लोग दोस्ती के बारे मैं पूछेंगे,
तो मेरी आँखों से सिर्फ तुम नजर आओगे !

वादियों से चाँद निकल आया है,
फीजाओं मैं नया रंग छाया हैं ,
आप हो की खामोस बेठे हैं ,
अब तो मुस्कराओ क्यूंकि एक बार फिर हमारा स्क्रैप आया है.

कल फुरसत न मिली तो क्या होगा
इतनी मोहलत न होगी तो क्या होगा ,
रोज तुम्हारा स्क्रैप की इंतज़ार करता हूँ
कल आँखें न रहे तो क्या होगा.

उस दिल से प्यार करो जो तुम्हे दर्द दे.
पर उस दिल को कभी दर्द न दो जो तुम्हे प्यार करे .
क्यूंकि तुम दुनिया के लिए कोई एक हो ,
पर किसी एक के लिए साड़ी दुनिया हो.

फूल से किसी ने पूछा तुने खुशबू दी तुझे क्या मिला
फूल ने कहा लेना और देना तो व्यापर है
जो दे कर कुछ न मांगे वो प्यार है.

किसी एक से करो प्यार इतना की किसी और से प्यार करने की गुन्जाय्स न रहे,
वो मुस्करा के देखे कर एक बार
तो जिंदगी से फिर कोई खवास न रहे.

4 comments:

  1. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा, कृपया यहाँ भी आयें और हिंदी ब्लॉग जगत को नया आयाम दे. उत्तर प्रदेश की आवाज़ को बुलंद करें. http://uttarpradeshbloggerassociation.blogspot.com

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति| धन्यवाद|

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  3. कविता अच्छी लगी.
    विशेष
    "फूल ने कहा लेना और देना तो व्यापर है
    जो दे कर कुछ न मांगे वो प्यार है"

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