Wednesday, December 8, 2010

आँसू मैं ना ढूँदना हूमें,
दिल मैं हम बस जाएँगे,
तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे.
लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा,
चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे अकेले ही रेह जाते हैं,
दिल का दर्द किससे दिखाए,
मरहम लगाने वेल ही ज़ख़्म दे जाते हैं,
वक़्त तो हूमें भुला चुका है,
मुक़द्दर भी ना भुला दे,
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,
क्यू के डरते हैं,कोई फिर से ना रुला दे,
ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे,
कहीं ज़ियादा तो कहीं काम मिलेंगे,
ऐतबार ज़रा सोच कर करना,
मुमकिन नही हैर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.
ख़ुशबो की तरह आपके पास बिखर जाएँगे,
सुकों बन कर दिल मे उतर जाएँगे,
मेहसूस करने की कोशिश तो कीजिए,
दूर होते हो भी पास नेज़र आएँ

Tuesday, December 7, 2010

मासूम शायर

मैं झुका था क्यों कि तुम्हारा मूल्य बहुत अधिक था |
ये आज सोचता हूँ कितना?
मंदिर में रखी चाँदी की प्रतिमा जितना,
पर मैं इतना झुका कि मेरा ही मूल्य खो गया |
तुम चाँदी से सोने की हो गईं, मैं मिट्टी का हो गया |
मेरा न सम्मान न मूल्य बाक़ी था,
अपने आप को देखता तो नज़र झुक जाती थी,
जैसे निरुद्देश्य ज़िन्दगी जिए जा रही हो |
जब भी किसी ने भी जल चढ़ाया,
तुम सोने की थीं और निखर गईं मैं मिट्टी का था घुल गया |
तब मैं किसी को भी नहीं दिखता था,
मंदिर आते जाते हर इंसान के पैरों से लिपटता था,
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जो खो दिया वो फिर से पाने के लिए |